परिचय
नाम.. आनन्द शर्मा
जन्म.. १२ अगस्त, १९३७
जन्म स्थान..बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश)
प्रकाशन..प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाऐं प्रकाशित,
गीत संकलन प्रकाशनाधीन.
देहावसान..९ मई, २००७
आनन्दशर्मा एक ऐसे अन्तर्मुखी रचनाकार हैं, जिनके गीतौं में उनका समकालीन दौर पूरी सघनता से मुखर हुआ है. अनुभूतियौं को सटीक भाषा में व्यक्त करने की उनकी क्षमता अदभुत है. उन्होंने बहुत अधिक नहीं लिखा हैं, कारण उनकी सोच इतनी स्पष्ट है कि एक विचार या अनिभूति को व्यक्त करने के लिये उन्होंने दस-बीस गीत नहीं लिखे. उन्होंने उसे पूर्णता के साथ एक ही गीत में व्यक्त किया है. उनकी रचनात्मक क्षमता और प्रगाढ़ संवेदनशीलता के कारण ही यह सम्भव है कि विचारों में सघनता के पश्चात् भी उनमें उलझाव नहीं है. उनके गीतों का कथ्य समकालीन होकर भी सर्वकालीन लगता है. देह रूप में वे अब हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन अपनी रचनाओं के रूप में सदा हमारे साथ रहेंगे. यह ब्लाग उन्हें एक विनम्र भावांजलि हैं.
18 Comments:
मेरी भी विनम्र भावांजली .................
आज का दौर ऐसा है जिसमें लोग खुद के अलावा किसी अन्य को रचनाकार मान तो लेते है लेकिन अपने से कमतर. एक दिवंगत, समर्थ रचनाकार के लिए एक ब्लॉग का समर्पण, इस युग में, विश्वास नहीं होता लेकिन आंखन देखी को झुटलाना भी सम्भव नहीं. यार, तुम महान शायर ही नहीं, बहुत बडे इन्सान हो. ५ दिन पहले, डेढ़ दिन आगरा में गुज़ार कर आया था. उस वक्त परिचय नहीं था वरना ऐसे इन्सान का दर्शन किये बगैर लौटने का सवाल ही नहीं उठता था.
( जो मेरे दिल में होता है वही शब्दों में होता है
खुशामद, चापलूसी, पांव छूना , मैं नहीं करता)
apne bhavanjali me meri bhi ek aawaz shamil kar le
आपका ये बलाग भी पहली बार देखा पिछली कुछ रचनायें पढी कमाल की अभिव्यक्तियाँ हैं आपकी कलम को सलाम
इस पोस्त के लिये मेरी भी विनम्र श्रद्धाँजली आभार्
Aanad ji mil kar achchha laga. Shukriya.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }</a
मेरे तरफ से भी विनम्र श्रद्धाँजली |
आपकी कवितायें भी अच्छी लगी |
shukriya
मेरे ब्लॉग के समर्थन में आप आये इस के लिए मैं बहुत आभारी हूँ. आशा है भविष्य में भी आप का आशीर्वाद पाता रहूँगा और आप के लेखनी "रस" का रसास्वादन होता रहेगा.
मेरी विन्रम श्रधांजलि ! अधभुत काव्य ,जीवन धन्य हुआ
हार्दिक श्रद्धांजलि।
( Treasurer-S. T. )
दोस्त का परिचय कराना और उसके लिए ब्लाग का समर्पण निश्चय ही एक यग्य है.
साधुवाद.
आनंद शर्मा जी को मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि.
साधुवाद गौतम जी , क्या बात है !आप एक दिवंगत रचनाकार के नाम पर ब्लॉग चला रहे हो ,अविस्वस्नीय कार्य
उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद ॥
mre blog par aa kar hausla afzai ke liye shukriya
कला के पुजारी आनंद शर्मा को भाव भीनी श्रद्धांजलि !!
हमारा आस पास गुणी लेखक कवियों से भरा हुआ है, पर अनेक हम तक नहीं पहुँचते या हम उन तक नहीं पहुँचते. आपने ऐसे ही गुणी कवि से परिचय कराया. धन्यवाद. आदर.
मेरी भी विनम्र भावांजली ...
मेरी भी विनम्र भावांजली ...!!
यह ब्लोग मैंने देखा .
मुझे कानपुर मैं बिताए उन दिनों की याद हो आई जब ई एस आई की पहली हिंदी पत्रिका " सुविधा " हमने निकाली , जिसकी प्रतियां , उस कार्यालय के पुस्तकालय में रखीं हैं , आनंद शर्मा जी ने एक कविता मुझे दी , जो उसमें है " शायद आंखों में ही रात बिता डाली " एसे थे उस गीत के बोल .
बहुत श्रेष्ठ ....क्षेत्रपाल शर्मा अलीगढ
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